Sunday, April 15, 2012

चीत्कार


जिँदगी थम सी गयी है ,
वकत की दमकती , गिरती हुई रेतेँ , रुक सी गयी है ।
बहता हुआ पानी , ठहर सा गया है ,
आगे बढने को आतुर दुनिया , रुक सी गयी है ।
इस ळहरी हुई दुनिया के सन्नाटे को चीरती हुई सुनाई पड्री एक चीत्कार ,
प्रलय के आह्रवान की , पुर्नजन्म की लालसा की चीत्कार ।

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